शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी,
अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।
तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे ,
शहेर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे…!
माना की तेरी एक आवाज से
भीड हो जाती हे ,
…..लेकिन हम भी आहिर हे ,
हमारी एक ललकार से पूरी भीड़
बिखर जाती हे ।।
कुत्ते भोंकते हे अपना वजूद बनाये रखने के लिये ,
और लोगो की खामोशी हमारी मौजूदगी बया करती हे
गोलिओ के व्यापारी है हम इसलिये हमें धोडा कभी मत दिखाना,
क्योंकि जब ट्रीगर दबाओगे तो गोली बाहर आते ही पहले हमे सलाम ठोकेगी..
बारुद जैसी है मेरी शक्शीयत,
जहा से गुजरता हुं, लोग जलना शुरु कर देते हैं
Kab tak wo mera hone se inkaar karega,
Khud tut kar wo ik din mjse pyaar karega,
Ishq ki aag me main usko itna jala dungi,
Ki izhaar wo mjse sar-e-bajaar karega
तू बेशक अपनी महफ़िल में मुझे बदनाम करती हैं,
लेकिन तुझे अंदाज़ा भी नहीं कि वो लोग भी मेरे पैर छुते है,
जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है
Mujhe Bheek Ki Khushiyan Pasand Nahin,
Main Jeeta Hun Apne Ghaamo Mein Nawabo Ki Tarha