Javed Akhtar Shayari - Page 3

Hum Bhi Kaafi Tej The

हम भी काफी तेज़ थे पहले वो भी थी होशियार बहुत ,
पहले दोनों खेल रहे थे लेकिन अब है प्यार बहुत !

Kafile Ret Hue Dashat-Ae-Junu Mein Kitne

काफिले रेत हुए दश्त-ए-जुनूं में कितने,
फिर भी आवारा मिजाजों का सफर जारी है !

Ek Ye Din Jab Lakhon Gam

एक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का,
एक वो दिन जब एक जरा सी बात पे नदियाँ बहती थी!

Yeh Duniya Bhar Ke Jhagde

यह दुनिया भर के झगडे, घर के किस्से, काम की बातें,
बला हर एक टल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ.

Humko Toh Bas Talaash Naye Raaston Ki Hai

हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है,
हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं!

Kin Lafazo Mein Itni Kadwi

किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी, इतनी कसैली बात लिखूं,
शेर की मैं तहज़ीब निभाऊं या अपने हालात लिखूं!

Na Jaane Kab Se Mujhe Intezaar

Na Jaane Kab Se Mujhe Intezaar Hai Uss Ka,
Jo Keh Gayaa Tha Mera Intezaar Mat Karna.

Hum Hai Wafa Ke Pujari

हम है वफ़ा के पुजारी , हरदम वफ़ा करेंगे,
एक जान रह गयी है , इससे भी तुम पर फ़िदा करेंगे.
अल्लाह करे तुमको भी हो चाह किसी की,
फिर मेरी तरह तू भी, राह देखे रहा किसी की!

Main Bhool Jaoon Ab Yehi Munaasib Hai

Main Bhool Jaoon Ab Yehi Munaasib Hai,
Magar Bhulana Bhi Chahoon Toh Kis Trah Bhulaaon,
K Tum Toh Phir Bhi Haqeeqat Ho, Koi Khawab Nahi.

Kho Gayi Hai Manzile

खो गयी है मंजिले, मिट गए है सारे रस्ते,
सिर्फ गर्दिशे ही गर्दिशे, अब है मेरे वास्ते.
काश उसे चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता!