Zindagi Tujhe Jeeya Hai


ज़िंदगी तुझ्को जिया है कोई अफ्सोस नहीं
ज़हर खुद मैने पिया है कोई अफ्सोस नहीं

मैने मुजरिम को भी मुजरिम ना कहा दुनिया में
बस यही ज़ुर्म किया है कोई अफ्सोस नहीं

मेरी किस्मत में जो लिखे थे उन्ही काँटों से
दिल के ज़ख़्मों को सीया है कोई अफ्सोस नहीं

अब गिरे संग के शीशों की हूँ बारिश ‘फाकिर’
अब कफ़न ओढ लिया है कोई अफ्सोस नहीं

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