Mere Dard Ko Bhi Aah Ka Haq Hai


मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है,
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने,
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं.

Category: Gulzar Shayari

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