Jab Bhi Tanhai Se Ghabra Ke


जब भी तन्हाई से घबराके सिमट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं

उनपे तूफान को भी अफ़सोस हुआ करता है
वो सफीने जो किनारों पे उलट जाते हैं

हम तो आए थे राहे साख में फूलों की तरह
तुम अगर हार समझते हो तो हट जाते हैं

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