Gam Maut Ka Nahi Hai


ग़म मौत का नहीं है,
ग़म ये के आखिरी वक़्त भी तू मेरे घर नहीं है,
निचोड़ अपनी आँखों को, के दो आंसू टपके,
और कुछ तो मेरी लाश को हुस्न मिले,
डाल दे अपने आँचल का टुकड़ा,
के मेरी मय्यत पे कफ़न नही है..

Category: Gulzar Shayari

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